हर कोई
खरीदना चाहता है
दो पल सुकून
पर बिकता नहीं किसी दुकान में
दो पल सुकून
इस खरीद फारोक्थ की आप धापी में `
हम खो देतें हैं
अपनी जिन्दगी से
रहा सहा सुकून
Ghar is a place where dreams live for those who lives in ghar Tumhara Dil hi hamara Ghar Hai
Sunday, January 9, 2011
Wednesday, January 5, 2011
manzil
अकेला चला था
जिस मोड़ से में
अपनी मंजिल की तलाश में
फिर मिले कुछ
मुसाफिर
चल दिए फिर वो भी
मेरे साथ
बनके मेरा कारवां
मुझे गुमान था की
रहूँगा में हमेशा
अपने कारवां के साथ
पर
आज एक एक मुसाफिर
छूटता गया मुझसे
और
रह गया में अकेला फिर से
शायद
में भूल गया था
की उन सबकी मंजिल
मेरी मंजिल नहीं थी
जिस मोड़ से में
अपनी मंजिल की तलाश में
फिर मिले कुछ
मुसाफिर
चल दिए फिर वो भी
मेरे साथ
बनके मेरा कारवां
मुझे गुमान था की
रहूँगा में हमेशा
अपने कारवां के साथ
पर
आज एक एक मुसाफिर
छूटता गया मुझसे
और
रह गया में अकेला फिर से
शायद
में भूल गया था
की उन सबकी मंजिल
मेरी मंजिल नहीं थी
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