पत्ते पेड़ के अब छोड़ चुके हैं उसे
पतझर अब आ गया है
नए पत्तों को अपना भविष्य नज़र आ रहा है
कभी वो भी इस पेड़ का श्रंगार करते थे
जो आज ज़मीन पर पड़े हैं
काल चक्र का पहिया रोंद देता है सब कुछ
पेड़ को गुरूर है कि
हर पतझर में उस को नए पत्ते मिल जायेंगे
पर वो भूल रहा है शायद
काल चक्र का पहिया
नहीं बख्शता है कभी किसी को .