Tuesday, November 22, 2011

thandi dhoop

मौसम आ गया ठंडी धूप का
गज़क रेवड़ी की भूख का
मूंगफली की गरम गरम थैलियौं का
चाय की गरमागरम चुस्कियौं का
मक्के की रोटी और सरसों के साग का
अंगीठी की सुलगती आग का
रजाई की गर्माहट का
गुलाब के महकते फूलों का
कोहरे की मखमली सुबह का
यादों का और वादों का
ऊन के गोलों का
ताश के पत्तों का
बथुए के पराठों का
गाज़र के हलवे का
पर   इस मौसम का मज़ा
और फुर्सत के लम्हे
मुझसे रूठ गए हैं  शायद .............




Wazood

 लोगों  की इस भीड़ में खोया सा रहता हूँ  फिर भी में अक्सर तनहा तनहा रहता हूँ  दुनियादारी क्या चीज़ है मुझे समझ नहीं आती  मेरी ये आवारगी मुझ को...