Thursday, March 15, 2012

samundar

ज़िन्दगी के इस समुन्दर में
कभी सुख की लहरें हैं
तो
कभी दुःख का ज्वार भाटा है 
कभी है ख़ामोशी की आहट
और कभी आ जाती है सुनामी
ज़िन्दगी में प्यार है
तो
कश्ती  को किनारा मिल ही जाता है
तुम ही खिवईया  हो इस कश्ती के
तुम ही हो केंद्र बिंदु हो इस समुन्दर के
अब तुम ही संभालो








Wazood

 लोगों  की इस भीड़ में खोया सा रहता हूँ  फिर भी में अक्सर तनहा तनहा रहता हूँ  दुनियादारी क्या चीज़ है मुझे समझ नहीं आती  मेरी ये आवारगी मुझ को...