Monday, March 18, 2013

prashn

तुमने दिया मुझे
वापस
मेरा बचपन
तुम्हारी नन्ही ऊँगली के स्पर्श ने
अनुभव कराया जीवन
तुम्हारी खिलखिलाती हंसी ने
बना दिया मेरे घर को उपवन
तुम्हारा सोते हुए मुस्कुराना
किसी अद्भुत कहानी में खो जाना
तुम्हारा पहली बार वो शब्द बोलना
पापा ...
जिसे सुनकर मेरा ह्रदय पुलकित हो गया
नए रिश्ता दिया तुमने
तुम्हारी कहानियों में सब कुछ मिला
तितली , बादल ,फूल ,घर ,चिड़िया , गिलहरी
भालू , बन्दर ,चॉकलेट , टॉफी और बहुत कुछ ..
और
इन सब में कभी झगडा नहीं होता
काश
यह दुनिया ऐसी ही होती
तुम्हारी कहानियों जैसी
तुम्हारे उत्सुकता भरे प्रश्न
उत्तर जानने को आतुर
चेहरे पर भाव लिए
नए प्रश्न ....
इस दुनिया को में भी देख रहा हूँ
तुम्हारे द्रष्टिकोण  से
ढूढ़ रहा हूँ
तुम्हारे साथ साथ
तुम्हारे और अपने
प्रश्नों के उत्तर .

Saturday, February 16, 2013

kahani



कुछ कहानियाँ
हमेशा अधूरी रह जाती हैं.
उन कहानियों के किरदार हम ज़रूर होते हैं
पर कहानीकार कोई और ही है
वो आदि से अंत तक कहानी लिखता रहता है
उन कहानियों में मेरे किरदार बदलते रहते हैं
मैं अपने किरदार भी खुद नहीं चुन पाता
उन किरदारों का चुनाव भी वो ही करता है
इस कहानी में नायक और खलनायक कोई और नहीं
मैं ही हूँ
वक़्त और परिस्थितियाँ मुझे कभी नायक तो कभी खलनायक बनाती हैं
मेरा ही रक्त बहता है
और खंजर भी मेरा होता है
और कहानीकार मुझ से नये द्र्श्य करवाता रहता है
समय के मंच पर नयी कहानियों का मंचन यूँ ही चलता रहता है
अनवरत ...
शायद मुझे यूँ ही लगता है
कि
कुछ कहानियाँ अधूरी रह गयीं

Wazood

 लोगों  की इस भीड़ में खोया सा रहता हूँ  फिर भी में अक्सर तनहा तनहा रहता हूँ  दुनियादारी क्या चीज़ है मुझे समझ नहीं आती  मेरी ये आवारगी मुझ को...