Monday, April 6, 2015

Anurodh

एक बार अपने गले लगा के तो देखो
अपनी खुशबू को हम से मिला के तो देखो
तुम्हारी आँखों की मधुशाला में डूब जायेंगे हम
हमारी प्रेम की गंगा में डुबकी लगा के तो देखो।

Sunday, January 25, 2015

Tasveer

कोई भी तस्वीर बनता हूँ
तुम्हारी तस्वीर ही बनती है
मौसम बदलते रहते हैं मगर
तस्वीर वैसी की वैसी है

वो लम्हा थम गया  है 
सदियोँ से भी वो बड़ा है 
सासों का दामन छोटा है 
हर जीवन में बस यही सहा है 
हर आते जाते मौसम में 
तुम खुशबू बनकर महको यूँही 
लहरों की अंगड़ाई लेकर 
बहती रहो अनवरत यूँही 
में साँसों के कैनवास पर 
तुम्हें बनता रहता हूँ 
तस्वीर चाहे जो भी हो 
तुम ही तस्वीर बनती हो 
मौसम बदलते रहते हैं  मगर 
तुम वैसी की वैसी हो। 

Wazood

 लोगों  की इस भीड़ में खोया सा रहता हूँ  फिर भी में अक्सर तनहा तनहा रहता हूँ  दुनियादारी क्या चीज़ है मुझे समझ नहीं आती  मेरी ये आवारगी मुझ को...