कोई भी तस्वीर बनता हूँ
तुम्हारी तस्वीर ही बनती है
मौसम बदलते रहते हैं मगर
तस्वीर वैसी की वैसी है
तुम्हारी तस्वीर ही बनती है
मौसम बदलते रहते हैं मगर
तस्वीर वैसी की वैसी है
वो लम्हा थम गया है
सदियोँ से भी वो बड़ा है
सासों का दामन छोटा है
हर जीवन में बस यही सहा है
हर आते जाते मौसम में
तुम खुशबू बनकर महको यूँही
लहरों की अंगड़ाई लेकर
बहती रहो अनवरत यूँही
में साँसों के कैनवास पर
तुम्हें बनता रहता हूँ
तस्वीर चाहे जो भी हो
तुम ही तस्वीर बनती हो
मौसम बदलते रहते हैं मगर
तुम वैसी की वैसी हो।