Friday, March 31, 2017

Ab Rahne Do

दर्द के एहसास को अब रहने दो
बुझ न पायी प्यास अब रहने दो
छोड़ के गए थे तुम जिस डगर को
वहां बन गयी मज़ार अब रहने दो
न जाने कितने सावन पतझर बन गए
पर न हुआ तेरा दीदार अब रहने दो
वक़्त बेरहम मेरा मेहबूब बन गया
जिंदगी ने आज़माया बार बार  अब रहने दो
अपनी तो तमन्ना थी तुम्हे पाने की
नामुमकिन तो नहीं था ख्वाब अब रहने दो

Wazood

 लोगों  की इस भीड़ में खोया सा रहता हूँ  फिर भी में अक्सर तनहा तनहा रहता हूँ  दुनियादारी क्या चीज़ है मुझे समझ नहीं आती  मेरी ये आवारगी मुझ को...