मेघ गरज गरज कर उमड़ आये
प्रियवर तुम सावन लाये
वर्षा ऋतु का यौवन है ये
या तुम्हारा स्मरण है ये
विरह की भीषण ऊष्मा को
शीतलता का उपहार लाये
प्रियवर तुम सावन लाये
वसुधा की प्यास बुझाने को
मिट्टी में कुसुम खिलाने को
नव जीवन अमृत पिलाने को
चेतनता को जगाने को
मेघ गरज गरज कर उमड़ आये
प्रियवर तुम सावन लाये