Friday, August 28, 2020

Rain

मेघ गरज गरज कर उमड़ आये 

प्रियवर तुम सावन लाये 

वर्षा ऋतु का यौवन है ये 

या तुम्हारा  स्मरण है ये 

विरह की भीषण ऊष्मा को 

शीतलता का उपहार लाये 

प्रियवर तुम सावन लाये 

वसुधा की प्यास बुझाने को 

मिट्टी में कुसुम  खिलाने को 

नव जीवन अमृत पिलाने को 


चेतनता को जगाने को 

मेघ गरज गरज कर उमड़ आये 

प्रियवर तुम सावन लाये 




Wazood

 लोगों  की इस भीड़ में खोया सा रहता हूँ  फिर भी में अक्सर तनहा तनहा रहता हूँ  दुनियादारी क्या चीज़ है मुझे समझ नहीं आती  मेरी ये आवारगी मुझ को...