Thursday, October 8, 2020

chidiya

 उसकी आंखों में एक सपना दिखा 

और साथ में भय भी 

उसकी आँखों में उत्सुकता थी 

वो ढूंढ़ रही थी धरा 

जहाँ वो कर सके सृजन 

अपने अस्तित्व का। .. 

वो चाहती थी बनाना 

एक सुरक्षित घरोंदा , अपनी चाहतों का 

और उसने ढूंढ लिया वह स्थान 

जहाँ रखा उसने एक अंडा 

कई दिनों तक वो उसकी निगरानी करती रही 

धूप , बारिश ,अंधड़ ,जानवर और इंसान 

इन सबसे लड़ती रही 

सच में माँ से सुन्दर कुछ नहीं 

न  माँ जैसा कोई योद्धा , 

न माँ जैसा कोई गुरु ,

प्रकृति की सबसे सुन्दर रचना है माँ 

फिर अंडे से निकला उसका ही जीवन 

अभी तो चोंच से खाना  सिखाना  है 

फिर चलना , उड़ना सिखाना  है 

चिड़िया (माँ) तुम यूहीं हिम्मत नहीं खोना 

यूहीं सपने सजोती रहना 

- अजीत सिंह चौहान 


Wazood

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