Friday, April 29, 2011

Pyaas

प्यास भी अजीब होती है 
कभी एक बूँद भी बहुत होती है 
तो कभी सागर भी कम पड़ता है 
और कभी होती है 
गर्म तवे पर फुदकती पानी की कुछ बूंदों जैसी 
कभी कोई आधी अधूरी कहानी जैसी होती है यह प्यास 
रात को कभी यूँ जगा देती है प्यास 
एक गहरा शून्य होता है आस पास 
प्यास डर भी है और ज़रूरत भी 
मैंने देखा है प्यास को रोते हुए 
उन आँखों से जिन को सावन सूखा मिला 
पर केक्टस को क्या कहें 
वो प्यास को भूल चूका था 
और प्याले की किस्मत 
भरे होने पर भी वो प्यासा था 

Saturday, April 16, 2011

fursat

चाय की चुस्की 
कैंटीन की लॉन 
फुरसत के लम्हे 
दोस्तों की महफ़िल 
मेरे प्यारे म्यूजिक कैसेट्स
फेकल्टी लोंज का कोर्रिडोर
और मेरा रूम नो  एच  -११४.
यादें , बस यादें रह जाती हैं

मेरी डायरी के कुछ पन्ने 
एल सेविन का मूवी शो 
चेरा की ब्रेड का शौक़ीन मोर 
और बिल्ली का वो गाना 
पम्मी थिअटर का लेट नाईट शो 
हॉल ३ की कैंटीन के परांठे 
यादें , बस यादें रह जाती हैं 

बंसी की लव स्टोरी के किस्से 
मेरी अलमारी पर लगे कुछ पोस्टर 
देर रात तक तारों का झुरमुट 
अंतराग्नि का वो जशन
टर्म एंड की वो टेंशन 
ब्लेक बोर्ड का डस्टर 


यादें , बस यादें रह जाती हैं 

Friday, April 8, 2011

ek din aaur

एक दिन और बीता जिन्दगी का बस यूं ही 
नयी सुबह की तलाश कल फिर होगी 
नए पदचिन्ह , नयी मंजिल की तलाश 
और जीवन जीता एक ख्वाब 
थोड़ा सा बह गया बस यूं ही 
मैंने समेटना चाहा हर एक लम्हा 
पर रेत के महल सा ढह गया बस यूं ही    
एक दिन और बीता जिन्दगी का बस यूं ही 

रात को थक कर जब ख्वाब सो जाता है 
दिन का उजाला फिर उम्मीद जगाता है 
और फिर में जीता हूँ हर पल ख्वाब को 
और शाम आने पर 
सूरज ढलता है हर रोज यूं ही 
एक नए सवेरे की फिर होती है शुरुआत  हर रोज यूं ही 
एक दिन और बीता जिन्दगी का बस यूं ही .

Wazood

 लोगों  की इस भीड़ में खोया सा रहता हूँ  फिर भी में अक्सर तनहा तनहा रहता हूँ  दुनियादारी क्या चीज़ है मुझे समझ नहीं आती  मेरी ये आवारगी मुझ को...