कम्बख़्त ज़िंदगी
तेरी अदा ने रुला दिया
जो नहीं भूलना था
वो भी भुला दिया
दर्द भी तू
दवा भी तू
गिला भी तू
शिकवा भी तू
तू ही है मेरी बेचैनी
और मेरा सुकून भी तू
तू वजह है मेरी आवारगी की
मेरी तन्हाई का सबब भी तू
तू ही तलाश है ज़िंदगी
तुझसे ही आस है ज़िंदगी
तुझको आईना हम ने बना लिया
जो नहीं भूलना था
वो भी भुला दिया
तेरी अदा ने रुला दिया
जो नहीं भूलना था
वो भी भुला दिया
दर्द भी तू
दवा भी तू
गिला भी तू
शिकवा भी तू
तू ही है मेरी बेचैनी
और मेरा सुकून भी तू
तू वजह है मेरी आवारगी की
मेरी तन्हाई का सबब भी तू
तू ही तलाश है ज़िंदगी
तुझसे ही आस है ज़िंदगी
तुझको आईना हम ने बना लिया
जो नहीं भूलना था
वो भी भुला दिया
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