समय की रेत भी जिसे दबा न सकी हो
परिस्थितियों की आंधी जिसे उड़ा न सकी हो
प्रेमिका के कमल नयनों के प्रहार ने विचलित किया
एक योद्धा के हृदय को बह्रमास्त्र ने जैसे भेदन किया
परिस्थितियों की आंधी जिसे उड़ा न सकी हो
प्रेमिका के कमल नयनों के प्रहार ने विचलित किया
एक योद्धा के हृदय को बह्रमास्त्र ने जैसे भेदन किया
No comments:
Post a Comment