सबको लड़ना पड़ता है
अपना अपना युद्ध
कभी कौरवों के विरूद्ध
कभी पांडवों के विरूद्ध
जीवन कुरुक्षेत्र है
कर्म ही धर्मक्षेत्र है
अपना धर्म जान लो
कर्म को पहचान लो
उठा लो गांडीव यदि
तुम्हारे अधर्म हो विरूद्ध
सबको लड़ना पड़ता है
अपना अपना युद्ध
मृत्यु से भय कैसा
मृत्यु जब अंत नहीं
मृत्यु बस पड़ाव है
यात्रा अनंत है
कुरुक्षेत्र बदलते रहेंगे
युद्ध यूहीं चलते रहेंगे
अपना धर्म बचाने को
अधर्म को मिटाने को
यूहीं मिटते जाना है
जीवन के कुरुक्षेत्र में
बस कर्म कीए जाना है
कर्म योगी बन जाना है
छोड़ दे सब माया तू
जीवन संघर्ष
से डर कैसा--
जीवन संघर्ष
से डर कैसा----
-- अजीत सिंह चौहान
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