Saturday, April 16, 2011

fursat

चाय की चुस्की 
कैंटीन की लॉन 
फुरसत के लम्हे 
दोस्तों की महफ़िल 
मेरे प्यारे म्यूजिक कैसेट्स
फेकल्टी लोंज का कोर्रिडोर
और मेरा रूम नो  एच  -११४.
यादें , बस यादें रह जाती हैं

मेरी डायरी के कुछ पन्ने 
एल सेविन का मूवी शो 
चेरा की ब्रेड का शौक़ीन मोर 
और बिल्ली का वो गाना 
पम्मी थिअटर का लेट नाईट शो 
हॉल ३ की कैंटीन के परांठे 
यादें , बस यादें रह जाती हैं 

बंसी की लव स्टोरी के किस्से 
मेरी अलमारी पर लगे कुछ पोस्टर 
देर रात तक तारों का झुरमुट 
अंतराग्नि का वो जशन
टर्म एंड की वो टेंशन 
ब्लेक बोर्ड का डस्टर 


यादें , बस यादें रह जाती हैं 

1 comment:

Wazood

 लोगों  की इस भीड़ में खोया सा रहता हूँ  फिर भी में अक्सर तनहा तनहा रहता हूँ  दुनियादारी क्या चीज़ है मुझे समझ नहीं आती  मेरी ये आवारगी मुझ को...