Friday, July 22, 2011

sauda

तन्हाई का सौदा हमने खुद किया 
ये बात अलग है कि इलज़ाम तुम को दे दिया 
किताबों के पन्ने पलटते पलटते बीत जायेगा ये सफ़र भी 
वो सिफ़ा भी मिल जाए शायद .......
कहाँ से लाऊँ में वो सिक्का जिसके बदले में मुझे मिल जाए 
वो चूरन कि पुड़िया 
जिसको खा कर जिंदगी नमकीन लगती थी कभी .
तुम अपने पास बुलाओ जब तो इतना रहम कर देना 
कोई पुराना हिसाब बाकी न रहे
और में भी कह सकूं कि सौदा पक्का था .

Monday, July 4, 2011

intezaar

एक चेहरे की चाहत में ये उम्र गुज़ार दी 
ऑंखें बंद हो गयी और इंतज़ार बाकी रहा .

ऑंखें बोझिल हो चली हैं रह तकते तकते 
रात भी हो गयी मगर तनहा में जगता रहा .

तेरी कायनात तू ही जाने, में तो बस इतना जानू 
तेरी बनायी दुनिया में एक ख्वाब मेरा बाकी रहा 

मुझसे कुछ कहना था उसे , पर वक़्त थोडा कम था 
और चिड़िया चुग गयी खेत , बस आसमां बाकी रहा .

मैंने देखा तुझे हर मंजर में , हर लम्हा 
न जाने क्यों फिर भी तेरा इंतज़ार बाकी रहा .

Wazood

 लोगों  की इस भीड़ में खोया सा रहता हूँ  फिर भी में अक्सर तनहा तनहा रहता हूँ  दुनियादारी क्या चीज़ है मुझे समझ नहीं आती  मेरी ये आवारगी मुझ को...