Friday, July 22, 2011

sauda

तन्हाई का सौदा हमने खुद किया 
ये बात अलग है कि इलज़ाम तुम को दे दिया 
किताबों के पन्ने पलटते पलटते बीत जायेगा ये सफ़र भी 
वो सिफ़ा भी मिल जाए शायद .......
कहाँ से लाऊँ में वो सिक्का जिसके बदले में मुझे मिल जाए 
वो चूरन कि पुड़िया 
जिसको खा कर जिंदगी नमकीन लगती थी कभी .
तुम अपने पास बुलाओ जब तो इतना रहम कर देना 
कोई पुराना हिसाब बाकी न रहे
और में भी कह सकूं कि सौदा पक्का था .

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