तन्हाई का सौदा हमने खुद किया
ये बात अलग है कि इलज़ाम तुम को दे दिया
किताबों के पन्ने पलटते पलटते बीत जायेगा ये सफ़र भी
वो सिफ़ा भी मिल जाए शायद .......
कहाँ से लाऊँ में वो सिक्का जिसके बदले में मुझे मिल जाए
वो चूरन कि पुड़िया
जिसको खा कर जिंदगी नमकीन लगती थी कभी .
तुम अपने पास बुलाओ जब तो इतना रहम कर देना
कोई पुराना हिसाब बाकी न रहे
और में भी कह सकूं कि सौदा पक्का था .
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