Monday, July 4, 2011

intezaar

एक चेहरे की चाहत में ये उम्र गुज़ार दी 
ऑंखें बंद हो गयी और इंतज़ार बाकी रहा .

ऑंखें बोझिल हो चली हैं रह तकते तकते 
रात भी हो गयी मगर तनहा में जगता रहा .

तेरी कायनात तू ही जाने, में तो बस इतना जानू 
तेरी बनायी दुनिया में एक ख्वाब मेरा बाकी रहा 

मुझसे कुछ कहना था उसे , पर वक़्त थोडा कम था 
और चिड़िया चुग गयी खेत , बस आसमां बाकी रहा .

मैंने देखा तुझे हर मंजर में , हर लम्हा 
न जाने क्यों फिर भी तेरा इंतज़ार बाकी रहा .

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