एक चेहरे की चाहत में ये उम्र गुज़ार दी
ऑंखें बंद हो गयी और इंतज़ार बाकी रहा .
ऑंखें बोझिल हो चली हैं रह तकते तकते
रात भी हो गयी मगर तनहा में जगता रहा .
तेरी कायनात तू ही जाने, में तो बस इतना जानू
तेरी बनायी दुनिया में एक ख्वाब मेरा बाकी रहा
मुझसे कुछ कहना था उसे , पर वक़्त थोडा कम था
और चिड़िया चुग गयी खेत , बस आसमां बाकी रहा .
मैंने देखा तुझे हर मंजर में , हर लम्हा
न जाने क्यों फिर भी तेरा इंतज़ार बाकी रहा .
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