Tuesday, October 17, 2017

Prem

प्रेम नहीं है काव्य
 भाषा और संवाद
प्रेम  नहीं है बंधन
रिश्तों का मोहताज
प्रेम नहीं है लेन देन
वादों का व्यापार
प्रेम नहीं है जाति
धर्म समाज और रिवाज
प्रेम है बस समर्पण
प्रेम है बस एहसास
सिर्फ एहसास

Thursday, October 12, 2017

tum ho

मेरी लिखी  पंक्तियोँ के हर अक्षर की चेतना तुम हो
हर शब्द में छुपी हुई वेदना तुम हो
तुम से होता है हर अनदेखे स्वप्न का अभिनन्दन
हर पल  को जीवन देने वाली  प्रेरणा तुम हो

Friday, March 31, 2017

Ab Rahne Do

दर्द के एहसास को अब रहने दो
बुझ न पायी प्यास अब रहने दो
छोड़ के गए थे तुम जिस डगर को
वहां बन गयी मज़ार अब रहने दो
न जाने कितने सावन पतझर बन गए
पर न हुआ तेरा दीदार अब रहने दो
वक़्त बेरहम मेरा मेहबूब बन गया
जिंदगी ने आज़माया बार बार  अब रहने दो
अपनी तो तमन्ना थी तुम्हे पाने की
नामुमकिन तो नहीं था ख्वाब अब रहने दो

Friday, January 13, 2017

Zindagi

कम्बख़्त ज़िंदगी
तेरी अदा ने रुला दिया
जो नहीं भूलना था
वो भी भुला दिया
दर्द भी तू
दवा भी तू
गिला  भी तू
शिकवा भी तू
तू ही है मेरी बेचैनी
और मेरा सुकून भी तू
तू वजह है मेरी आवारगी की
मेरी तन्हाई का सबब भी तू
तू ही तलाश है ज़िंदगी
तुझसे ही आस है ज़िंदगी
तुझको आईना हम ने बना लिया
जो नहीं भूलना था
वो भी भुला दिया

Wazood

 लोगों  की इस भीड़ में खोया सा रहता हूँ  फिर भी में अक्सर तनहा तनहा रहता हूँ  दुनियादारी क्या चीज़ है मुझे समझ नहीं आती  मेरी ये आवारगी मुझ को...