Wednesday, September 12, 2018

ehsas

मेरे अंदर जीवन
पल पल मर रहा है
और में
उस हर एक पल का एहसास हूँ
काया में परिवर्तन
विचारों में परिवर्तन
अपने ही बनाये मकान में
कहीं खो सा गया हूँ
किसको छोड़ूँ
किसे अपना समझूँ
कैसे जीवन को जीकर में खर्च करूँ
मुठ्ठी में रेत सा फिसलता जीवन
हर पल निकल रहा है
मुझसे कह रहा है
मुझको हर पल जीकर महसूस करो
जब तक साँसे हैं
तब तक तुम्हारी यह कायनात है
उसके बाद तो
न तुम्हारे कोई पास है
और
न कोई एहसास है

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