मेरे अंदर जीवन
पल पल मर रहा है
और में
उस हर एक पल का एहसास हूँ
काया में परिवर्तन
विचारों में परिवर्तन
अपने ही बनाये मकान में
कहीं खो सा गया हूँ
किसको छोड़ूँ
किसे अपना समझूँ
कैसे जीवन को जीकर में खर्च करूँ
मुठ्ठी में रेत सा फिसलता जीवन
हर पल निकल रहा है
मुझसे कह रहा है
मुझको हर पल जीकर महसूस करो
जब तक साँसे हैं
तब तक तुम्हारी यह कायनात है
उसके बाद तो
न तुम्हारे कोई पास है
और
न कोई एहसास है
पल पल मर रहा है
और में
उस हर एक पल का एहसास हूँ
काया में परिवर्तन
विचारों में परिवर्तन
अपने ही बनाये मकान में
कहीं खो सा गया हूँ
किसको छोड़ूँ
किसे अपना समझूँ
कैसे जीवन को जीकर में खर्च करूँ
मुठ्ठी में रेत सा फिसलता जीवन
हर पल निकल रहा है
मुझसे कह रहा है
मुझको हर पल जीकर महसूस करो
जब तक साँसे हैं
तब तक तुम्हारी यह कायनात है
उसके बाद तो
न तुम्हारे कोई पास है
और
न कोई एहसास है
No comments:
Post a Comment