Monday, June 1, 2020

var do

ये ज्वाला जो धधक  रही है 
मेरी चेतना में 
ज्वालामुखी है भीतर 
लावा फूट  रहा है व्याकुलता का 
हे प्रभु !
तुम प्रेम का सागर बन कर 
मेरे अधीर मन को 
शीतलता का वर दो। 

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