Sunday, May 31, 2020

priyawar

तुम्हारा स्मरण
और हाथ में ये
चाय की प्याली
मेरे अधरों को मिली
कोई बांसुरी मतवाली
ये प्रेम की आतुरता है
या है अनुराग तुम्हरा
हर दृश्य में तुम ही को देखा है
ये भ्रम है या मिथ्या
तुम ही जानो
मैं तो बस ये ही मानू
मुस्कान ये मेरे अधरों पर
तुम ही लाये हो प्रियवर



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