तुम्हारा ये दर्पण
जिसमें तुम्हारा
अपनी काया को निहारना
अपने यौवन पर इतराना
अपने आप को देख कर मुस्कुराना
अपने आप से प्रेम की अभिव्यक्ति है
या है किसी और के प्रेम का स्फुटन
जो भी है वो है
उस ईश्वर का अभिनन्दन
पर यह है सत्य है बस इसी क्षण
इसी क्षण में जीवन का करो आलिंगन
कल
तुम्हारा ये दर्पण
तुम्हे बदला हुआ देखेगा
और तुम उस दर्पण में
अपने अतीत के क्षण
स्मृतियों में ढूंढ़ते रहोगे
जिसमें तुम्हारा
अपनी काया को निहारना
अपने यौवन पर इतराना
अपने आप को देख कर मुस्कुराना
अपने आप से प्रेम की अभिव्यक्ति है
या है किसी और के प्रेम का स्फुटन
जो भी है वो है
उस ईश्वर का अभिनन्दन
पर यह है सत्य है बस इसी क्षण
इसी क्षण में जीवन का करो आलिंगन
कल
तुम्हारा ये दर्पण
तुम्हे बदला हुआ देखेगा
और तुम उस दर्पण में
अपने अतीत के क्षण
स्मृतियों में ढूंढ़ते रहोगे
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