Sunday, September 20, 2020

Uravashi

कोई मर्म इस ह्रदय  पर यूहीं नहीं है जन्म लेता

इस  समर की वेदी पर आहुति होती है वेदना 

अश्रु जल ही सींचता  है इस प्रेम के अंकुर को सदैव 

तब कहीं जा कर पुष्प बनता है सुगंध की प्रेरणा 

और सुगंध ही तो है जीवन  की सुन्दर वल्लिका 

स्वप्न की निर्झर बयार है तो जीवन है, सृजन है 

रति है तो प्रेम है , मिलन है , विरह की अगन है 

एक  पुरुरवा को उसकी उर्वशी का चिंतन है 



Sunday, September 13, 2020

kaal

 काल का सृजन हूँ में 

काल ही में बह रहा 

काल की ही शून्यता में 

चेतना को सह रहा 

काल ही है  मुक्ति मेरी 

काल ही वो पाश है 

काल ही है कल्पना 

काल ही संसार है 

काल से है उत्पत्ति 

काल से ही है तिमिर 

काल से ही है प्रभा 

काल ही है साधना 

काल ही है सुधा 

काल को नमन है मेरा 

काल ही भगवान् है 



Wazood

 लोगों  की इस भीड़ में खोया सा रहता हूँ  फिर भी में अक्सर तनहा तनहा रहता हूँ  दुनियादारी क्या चीज़ है मुझे समझ नहीं आती  मेरी ये आवारगी मुझ को...