सूखे पत्ते
जिन्हें छोड़ दिया
उस वृक्ष ने
जिसको कभी
सजाया था उन्होंने
जब थे हरे भरे
और आकर्षक
तब तक वृक्ष ने
उन्हें लगाया ह्रदय से
जब
खो बैठे वो
अपना सोंदर्य
अपना आकर्षण
तब छोड़ दिया उन्हें
निकाल दिया ह्रदय से
अपने जीवन से
सूखे पत्तों की
नियति यही है
आज पड़े हैं
वो धरा पे
आज हर एक छोटा बड़ा
जीव जंतु
निकल जाता है
रोंदकर उन्हें
अपने पेरों तले
तब करते हैं
वो रुदन
और
बताते हैं उन्हें
की
एक दिन सभी को
अलग होना होता है
और
मिलना होता है
मिट्टी से
वही शरण देती है
अंत में सबको.
Ghar is a place where dreams live for those who lives in ghar Tumhara Dil hi hamara Ghar Hai
Friday, October 1, 2010
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Wazood
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