Friday, October 1, 2010

dry leaves

सूखे पत्ते
जिन्हें छोड़ दिया
उस वृक्ष ने
जिसको कभी
सजाया था उन्होंने
जब थे हरे भरे
और आकर्षक
तब तक वृक्ष ने
उन्हें लगाया ह्रदय से
जब
खो बैठे वो
अपना सोंदर्य
अपना आकर्षण
तब छोड़ दिया उन्हें
निकाल दिया ह्रदय से
अपने जीवन से
सूखे पत्तों की
नियति यही है
आज पड़े हैं
वो धरा पे
आज हर एक छोटा बड़ा
जीव जंतु
निकल जाता है
रोंदकर उन्हें
अपने पेरों तले
तब करते हैं
वो रुदन
और
बताते हैं उन्हें
की   
एक दिन सभी को
अलग होना होता है
और
मिलना होता है
मिट्टी से 
वही शरण देती है
अंत में सबको.  

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