Monday, December 13, 2010

tum

तुम जो अचानक
चले गए यूंही
बिन बताये
में देखती रही
तुम्हारी राह एक टक दरवाजे पर
कभी लगा तुम ने दस्तक दी
कुण्डी खोली तो
अंतहीन ख़ामोशी खड़ी थी
मेरी ख़ामोशी की चीख से
में सहम गयी थी
मैंने कभी न सोचा था
की आएने में
ख़ामोशी ढूंढ लेगी अपना चेहरा
तुम्हारे क़दमों के निशाँ
बता रहे हैं
की तुम को
एक दिन ढूंढ लेगी
मेरी ख़ामोशी

 

 
  

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