Wednesday, May 11, 2011

Tu

तुमसे जब नज़र मिलाई न थी 
ज़िन्दगी अपनी भी पराई न थी 

मोहब्बत के माने ढूँढ़ते रहते थे हम 
मोहब्बत को हमसे रुसवाई न थी 

तेरे साथ था हरदम मेरा साया 
मेरे साथ मेरी  परछाई न थी 

तेरी आँखों का शुरूर छाया था हर तरफ 
मेरी आँखों में तब तन्हाई न थी 

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