Wednesday, September 29, 2010

shadow

रात के अंधियारे सी
छाया
पीछा करती है
हरदम क्यों मेरा ?
छाया
बदलती रहती है
हरदम आकृतियाँ
क्रोंधती रहती है
चेतना में हरदम .
छाया
मिलती नहीं है
किसी को
पर लुभाती है
सभी को
छाया
उजाले और अँधेरे
के मिलन से
लेती है जन्म .
छाया
अद्रश्य भी है
और
दृष्टी भ्रम भी
छाया
भय भी है
प्रेम भी है
वासना भी है
वात्सल्य भी है
विरह भी है
आराधना भी है .
छाया
रहस्य भी है
ज्ञान भी है
जड़ भी है
और चेतन भी .
छाया
न तुम्हें खो सकता हूँ
न तुम्हें पा सकता हूँ .
छाया
में तुम्हारा
उपासक हूँ
तुम्हें एक बार ------
मन की आखों
से निहारना चाहता हूँ .

stairs

सीढ़ी
जो की
चढ़ाती है
ज़मीन से
ऊँचाई पर
वाही सीढ़ी
वापस लाती है
ज़मीन पर
सीढ़ी
कायम रखती है
रिश्ता
ऊँचाई
और
ज़मीन का
बताती है की
ऊँचाई
नहीं होती है
मंजिल किसी की

upvan

मेरी चेतना
की मरुस्थली में
एक बीज छुपा हुआ था
उसे मिली
नमी
द्रगजल की
तो फूट उठा उसमें
अंकुर
संवेदनाओं का
अंकुर
बनेगा पौधा
फिर वृक्ष
वृक्ष जनम देगा फिर
नए बीज को
फिर
फूटेंगे नए अंकुर
मेरी चेतना
की मरुस्थली
बन जाएगी
एक
सुन्दर उपवन

Sunday, September 26, 2010

fill up the blanks

In the childhood
when my teacher
gives me
task
to fill up the blanks.
I feel delighted
and fill up the BLANKS
with appropriate words.
But
today
I am searching
the appropriate
WORD
which could probably
fill up all the blanks
in the ocean of my heart
my search for the word
is never ending
and timeless
probably
till that day
last leaf
on the earth will drop.

Saturday, September 25, 2010

mirror

मुझे मेरी सूरत
आईने में अब
भाती नहीं
आईने को मेरी
पहली सूरत अब
याद  आती नहीं
मैंने देखा है
आईने को अक्सर मुस्कुराते हुए
वक़्त की तस्वीर
आईने में
नज़र आती नहीं
वक़्त आईना है
या
आईना वक़्त है
ये पहेली
मुझे समझ
अब आती नहीं

waqt be waqt

तेरी हंसी कभी कभी
यादों के झुरमुट से
ताक झांक करती है
वक़्त वे वक़्त
उम्र गुज़र गयी पर
यादों के झुरमुट में
अब भी सावन लहराता है
और
भिगो जाता है
वक़्त वे वक़्त
वो वगवान
जिस के एक दरक्खत पर
कभी कोयल की
कुहू कुहू सुनायी देती थी
आज उस दरक्खत पर
पतझर   है
पर एक   साया
आज भी नज़र आता है
वक़्त वे वक़्त
 
 

 
 
   
     

Friday, September 24, 2010

Tumhi sambhalo

ख्वाबों की टहनियों में
लगे हुए आकांक्षाओं के पुष्प
और आसमान में चमकते हुए
अनगिनित अनुभूतियों के सितारे
समय के आँचल में करवट लेते अनुभव
आवारा हवा के झोंके सी तन्हाई
तुम्हें पाने की ललक
मेरे क्षितिज
शब्द अर्थ और वेदना
सब
तुम्हीने तो दिया है
अब
तुम्ही संभालो


 

kites

kite fly
on the mercy
of  her master
but when the string breaks
kite fly on the mercy of another master
or she loses her existence
when the wind blows
the kite dances in the sky
kite thinks she can
fly like a bird
but she didn't know that
birds fly  higher because
she has no limits
she enjoys the fruit of freedom
freedom
the gift of god
god created bird
and give her freedom
we made kite
and give her
a string of her destiny
we
cannot give freedom to our creations

Wednesday, September 15, 2010

Yaadein

याद आती हैं
मुझे कुछ भूली बिसरी कहानियाँ
बचपन की लोरियां
चूरन की पुढ़िया    
कागज की नाव
कंचे की गोलियां
पतंग की डोरी
कुल्फी की चुस्कियां
सांप सीढ़ी की गोटियाँ
छत पर पढ़ी चारपाईयां
विविध भारती की फरमाइश
दूरदर्शन की रंगोली
गर्मी की छुट्टियां
चाचा चौधरी की कॉमिक्स
मेरे बनाये हुए कुछ पेंटिंग्स
कॉलेज की कैंटीन
दोस्तों की प्रेम कहानियाँ
होम अस्सिग्न्मेंट्स की फोटोकॉपी
कुछ आंखमिचोलियाँ

 



   

Tuesday, September 7, 2010

ajay

Today
Ajay has left IGF
to his new destination
we bless him
for his future happiness and new journey
life
is an endless journey of endless moments
so live every moments to the fullest
we meet many persons in this journey
but some are special
special persons
we always remember
ajay
as your name is
you will always win
in every exam of life.

Monday, September 6, 2010

kaanch ki pyaali


कांच की प्याली में
गर्माहट लिए
आवारा सी भाप उठती है
एक हलके नशे की सतह से
फिर एक हाथ
बढ़ता है उसको थामने
धीरे धीरे
प्याली उठती है
बढ़ती है चूमने को
किसी के होटों को
फिर
खाली कर देती है
अपने आप को
उन होठों के वास्ते
और
मिटा देती है थकान
अपने मेहरबान की
लुटा के अपना सब कुछ
काच की प्याली
बार बार खाली होती है
तैयार  होती है
हर बार
किसी मेहरबान के होठों पर
लुटने के लिए 

Wazood

 लोगों  की इस भीड़ में खोया सा रहता हूँ  फिर भी में अक्सर तनहा तनहा रहता हूँ  दुनियादारी क्या चीज़ है मुझे समझ नहीं आती  मेरी ये आवारगी मुझ को...