Tuesday, November 22, 2011

thandi dhoop

मौसम आ गया ठंडी धूप का
गज़क रेवड़ी की भूख का
मूंगफली की गरम गरम थैलियौं का
चाय की गरमागरम चुस्कियौं का
मक्के की रोटी और सरसों के साग का
अंगीठी की सुलगती आग का
रजाई की गर्माहट का
गुलाब के महकते फूलों का
कोहरे की मखमली सुबह का
यादों का और वादों का
ऊन के गोलों का
ताश के पत्तों का
बथुए के पराठों का
गाज़र के हलवे का
पर   इस मौसम का मज़ा
और फुर्सत के लम्हे
मुझसे रूठ गए हैं  शायद .............




Sunday, October 30, 2011

patjhar

पत्ते पेड़ के अब छोड़ चुके हैं उसे 
पतझर अब आ गया है 
नए पत्तों को अपना भविष्य नज़र आ रहा है 
कभी वो भी इस पेड़ का श्रंगार करते थे 
जो आज ज़मीन पर पड़े हैं 
काल चक्र का पहिया रोंद देता है सब कुछ 
पेड़ को गुरूर है कि
हर पतझर में उस को नए पत्ते मिल जायेंगे 
पर वो भूल रहा है शायद 
काल चक्र का पहिया 
नहीं बख्शता है कभी किसी को .  

Friday, July 22, 2011

sauda

तन्हाई का सौदा हमने खुद किया 
ये बात अलग है कि इलज़ाम तुम को दे दिया 
किताबों के पन्ने पलटते पलटते बीत जायेगा ये सफ़र भी 
वो सिफ़ा भी मिल जाए शायद .......
कहाँ से लाऊँ में वो सिक्का जिसके बदले में मुझे मिल जाए 
वो चूरन कि पुड़िया 
जिसको खा कर जिंदगी नमकीन लगती थी कभी .
तुम अपने पास बुलाओ जब तो इतना रहम कर देना 
कोई पुराना हिसाब बाकी न रहे
और में भी कह सकूं कि सौदा पक्का था .

Monday, July 4, 2011

intezaar

एक चेहरे की चाहत में ये उम्र गुज़ार दी 
ऑंखें बंद हो गयी और इंतज़ार बाकी रहा .

ऑंखें बोझिल हो चली हैं रह तकते तकते 
रात भी हो गयी मगर तनहा में जगता रहा .

तेरी कायनात तू ही जाने, में तो बस इतना जानू 
तेरी बनायी दुनिया में एक ख्वाब मेरा बाकी रहा 

मुझसे कुछ कहना था उसे , पर वक़्त थोडा कम था 
और चिड़िया चुग गयी खेत , बस आसमां बाकी रहा .

मैंने देखा तुझे हर मंजर में , हर लम्हा 
न जाने क्यों फिर भी तेरा इंतज़ार बाकी रहा .

Friday, June 10, 2011

aansoo

यूंही कभी तेरी याद आ जाती है हौले से 
आँखों से बरस जाते हैं आंसू 
कोई पूछता है तो कह देते हैं 
काजल पोंछते हुए दुपट्टा दगा दे गया .

मैंने बहुत ढूंडा तुमको अपने आसपास 
जब तुम न आये तो में क्या करती 
किसको में बताती,क्या में बताती ?
बिन बताये सब बयान कर गए आंसू 

बाजारों की रौनक मुझको फीकी लगने लगी 
गजरे की महक भी अब तो मुझको डसने लगी 
जब आयने में देखा मैंने अपना चेहरा सहम कर 
आयने की आँख से बरस पड़े आंसू 

यूं तो सब कुछ है जिंदगी में और कुछ भी नहीं 
तू भी होता तो कुछ और बात होती 
तेरे कंधे पर सर रख के दिन निकलता शाम होती 
रात को करवट बदलते हुए यूं तनहाई में 
तकिये से न लिपटते ये आंसू 

Friday, June 3, 2011

chubhan

बीते अतीत की 
परिकल्पना 
भिगो देती है 
वास्तविकता के 
धरातल को .

धरातल का 
स्पर्श 
देता है चुभन 
पथरीले वर्तमान की 
और 
कर देता है 
लहुलुहान 
अस्तित्व मेरा 
फिर खोजता है 
बीते अतीत को 
भविष्य के झरोखों में .

Wednesday, May 25, 2011

tukde

कुछ कागज़ के टुकड़े 
मैंने 
फाड़ दिए 
शायद उन पर लिखा 
ख़त्म करना चाहता था 
फटे हुए टुकड़ों में से 
शब्द भी इधर उधर बिखर पड़े 
जिनको कभी इकठ्ठा करके 
लिखा था मैंने 
बोले ---
तुम कभी नहीं मिटा पाओगे हमें 
हमारी चीखें तुम्हें चैन से सोने नहीं देंगी 
अगर तुम हमें मिटाओगे 
तो खुद भी कहाँ बच पाओगे .

Tuesday, May 24, 2011

Bazm

ज़िन्दगी में कभी ऐसा भी मुकाम आये 
तेरे लब पे कभी मेरा भी नाम आये .

कट रही है जिंदगी बस इसी एहसास में 
तेरी याद न आये एक ऐसी शाम आये .

तुझसे रूबरू हो पाऊँ ऐसी मेरी किस्मत कहाँ 
तेरा तस्सवुर रूबरू हो जाये तो भी जान आये .

किस हक से किस रिशते से पुकारूं तुझे 
खुदा कह कर पुकारूं तो खुदाई न रूठ जाए.

दीवानगी के जूनून में हमने भुला दिया सब कुछ 
तेरी चाहत में हम पे ऐसे भी इलज़ाम आये.

Monday, May 23, 2011

kitab

किताब के पन्ने 
यूंही पलटते जाता हूँ 
कुछ ढूँढने की चाहत में 
कुछ ढूंढता रह जाता हूँ 

कुछ खो गया है शायद 
किसी सफे पर कहीं
किसी किताब में 

कुछ नादान सा 
कुछ अनजान सा 
कुछ लिखा हुआ 
कुछ मिटा हुआ 
कुछ कहा हुआ 
कुछ अनकहा सा 

किताबें बदलती रहीं 
नहीं बदली मेरी चाहत 
उस सफे को ढूँढने की 
जिस पर लिखा हो कोई 
जाना पहचाना अफसाना 

Wednesday, May 11, 2011

Tu

तुमसे जब नज़र मिलाई न थी 
ज़िन्दगी अपनी भी पराई न थी 

मोहब्बत के माने ढूँढ़ते रहते थे हम 
मोहब्बत को हमसे रुसवाई न थी 

तेरे साथ था हरदम मेरा साया 
मेरे साथ मेरी  परछाई न थी 

तेरी आँखों का शुरूर छाया था हर तरफ 
मेरी आँखों में तब तन्हाई न थी 

Monday, May 9, 2011

samosa

Samosa is the most popular snack of India. Summer is getting hotter day by day. Samosa with cold drink makes great taste and combination of hot and cold. I love samosa with cold drink. Samosa ,cold drink and some gup shup with friends makes life easy.
Popularity of samosa had inspired hindi film music. In film Mr & Mrs Khiladi there was one song on samosa... Jab tak rahega samose mein aalu. Samosa is made with different styles and tastes in almost every part of India and different part of world.
http://en.wikipedia.org/wiki/Samosa

Make your summer cool with samosa and cold drink...

Tuesday, May 3, 2011

eclipse

I always look at moon
which always looks beautiful
may be it is because
I never touch it
things are beautiful
when they are far away from reach
we do not look nearby things
we do not care for nearby relations
we do not love those things which needs our love and care
we always want moon
but we must know
there is an eclipse in the life of moon also.

Friday, April 29, 2011

Pyaas

प्यास भी अजीब होती है 
कभी एक बूँद भी बहुत होती है 
तो कभी सागर भी कम पड़ता है 
और कभी होती है 
गर्म तवे पर फुदकती पानी की कुछ बूंदों जैसी 
कभी कोई आधी अधूरी कहानी जैसी होती है यह प्यास 
रात को कभी यूँ जगा देती है प्यास 
एक गहरा शून्य होता है आस पास 
प्यास डर भी है और ज़रूरत भी 
मैंने देखा है प्यास को रोते हुए 
उन आँखों से जिन को सावन सूखा मिला 
पर केक्टस को क्या कहें 
वो प्यास को भूल चूका था 
और प्याले की किस्मत 
भरे होने पर भी वो प्यासा था 

Saturday, April 16, 2011

fursat

चाय की चुस्की 
कैंटीन की लॉन 
फुरसत के लम्हे 
दोस्तों की महफ़िल 
मेरे प्यारे म्यूजिक कैसेट्स
फेकल्टी लोंज का कोर्रिडोर
और मेरा रूम नो  एच  -११४.
यादें , बस यादें रह जाती हैं

मेरी डायरी के कुछ पन्ने 
एल सेविन का मूवी शो 
चेरा की ब्रेड का शौक़ीन मोर 
और बिल्ली का वो गाना 
पम्मी थिअटर का लेट नाईट शो 
हॉल ३ की कैंटीन के परांठे 
यादें , बस यादें रह जाती हैं 

बंसी की लव स्टोरी के किस्से 
मेरी अलमारी पर लगे कुछ पोस्टर 
देर रात तक तारों का झुरमुट 
अंतराग्नि का वो जशन
टर्म एंड की वो टेंशन 
ब्लेक बोर्ड का डस्टर 


यादें , बस यादें रह जाती हैं 

Friday, April 8, 2011

ek din aaur

एक दिन और बीता जिन्दगी का बस यूं ही 
नयी सुबह की तलाश कल फिर होगी 
नए पदचिन्ह , नयी मंजिल की तलाश 
और जीवन जीता एक ख्वाब 
थोड़ा सा बह गया बस यूं ही 
मैंने समेटना चाहा हर एक लम्हा 
पर रेत के महल सा ढह गया बस यूं ही    
एक दिन और बीता जिन्दगी का बस यूं ही 

रात को थक कर जब ख्वाब सो जाता है 
दिन का उजाला फिर उम्मीद जगाता है 
और फिर में जीता हूँ हर पल ख्वाब को 
और शाम आने पर 
सूरज ढलता है हर रोज यूं ही 
एक नए सवेरे की फिर होती है शुरुआत  हर रोज यूं ही 
एक दिन और बीता जिन्दगी का बस यूं ही .

Saturday, March 19, 2011

Holi

अब के बरस होली में 
बरसे तेरे प्यार का अबीर गुलाल 
राधा के संग भीगे नन्दलाल 
अब के बरस होली में ........

अब के बरस होली में 
सांवला सलोना मुखड़ा यूं हो गया है लाल   
मौसम भी कर रहा है  कमाल 
महंगाई का हुल्लड़ भी है बेमिसाल     
अब के बरस होली में ........

अब के बरस होली में 
गुजियों का मिठास ले जीजा आये ससुराल 
भाभी ने देवर का किया मुहं लाल 
मौहल्ले की हर  छत पे  मचा है धमाल 
अब के बरस होली में ........

अब के बरस होली में 
भंग के पकौड़े खा के झूम रहे रामलाल 
गोलू की माँ भी कर रही कमाल 
ताऊ भी आज लग रहे हैं हीरो हीरालाल 
हर तरफ मस्ती का है गोलमाल 
अब के बरस होली में ........

Tuesday, March 15, 2011

tanhaayee

रात की तन्हाई 
और बिस्तर की सिलवटें 
एक दास्ताँ छोड़ आयी फिर 
यूँ ही हर रोज़  की तरह 
एक खामोश सुबह 
फिर से 
मेरी हमसफ़र बन गयी यूं ही    
Enhanced by Zemanta

Saturday, March 12, 2011

sadak

ये आवारा सी दौड़ती भागती सडकें 
लुकती  ,   छुपती  ,सहमी, सिमटी सी सडकें 
ठिठुरती , भीगती ,दहकती , दमकती सडकें
एक अंतहीन मकडजाल सी ये सडकें
और 
इन सड़कों पर 
परछाइयों  को  पकड़ने के लिए भागते हुए लोग 
 परछाइयों में सपने बुनते हुए ये लोग 
न जाने चले जाते हैं कहाँ 
और में मूक दर्शक सा सदियों से 
ये तमाशा देख रहा हूँ  

Sunday, January 9, 2011

sukoon

हर कोई
खरीदना चाहता है
दो पल सुकून
पर बिकता नहीं किसी दुकान में
दो पल सुकून
इस खरीद फारोक्थ  की आप धापी में `
हम खो देतें हैं
अपनी जिन्दगी से
रहा सहा सुकून 

Wednesday, January 5, 2011

manzil

अकेला चला था
जिस मोड़ से में
अपनी मंजिल की तलाश में
फिर मिले कुछ
मुसाफिर
चल दिए फिर वो भी
मेरे साथ
बनके मेरा कारवां
मुझे गुमान था की
रहूँगा में हमेशा
अपने कारवां के साथ
पर
आज एक एक मुसाफिर
छूटता गया मुझसे
और
रह गया में अकेला फिर से
शायद
में भूल गया था
की उन सबकी मंजिल
मेरी मंजिल नहीं थी 

Wazood

 लोगों  की इस भीड़ में खोया सा रहता हूँ  फिर भी में अक्सर तनहा तनहा रहता हूँ  दुनियादारी क्या चीज़ है मुझे समझ नहीं आती  मेरी ये आवारगी मुझ को...